लैंसडौन निवासी देवेंद्र नैथानी विगत 35 वर्षों से पर्वतीय क्षेत्र की महिलाओं की पहाड़ जैसी पीड़ा को पोस्टरों के माध्यम से उजागर कर रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर बहुत से लोग अलग-अलग माध्यम से महिलाओ के प्रति सोच बदलने के लिए जागरूक कर रहें हैं। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए कलाकार देवेंद्र नैथानी विगत 35 वर्षों से पर्वतीय क्षेत्र की महिलाओं की पहाड़ जैसी पीड़ा को पोस्टरों के माध्यम से उजागर कर रहे हैं। वह इन पोस्टरों के जरिए लोगों को महिलाओं के प्रति अपनी सोच बदलने के लिए जागरूक कर रहे हैं।
लैंसडौन निवासी देवेंद्र ने महिलाओं के जीवन पर आधारित विभिन्न कवियों की कविताओं को पोस्टरों पर उकेरते हुए उन्हें विभिन्न मैगजीन, अखबारों में प्रकाशित फोटो, स्वयं की खींची गई फोटो और पेंटिंग के माध्यम से नया रूप दिया है। वर्तमान में उन्होंने महिलाओं के जीवन पर आधारित करीब 200 कविताओं पर पोस्टर (कोलॉज) बनाए हैं। वे देश के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित कार्यक्रमों में इन पोस्टरों की प्रदर्शनी के माध्यम से महिलाओं के जीवन को लेकर जन जागृति फैलाने का कार्य कर रहे हैं।
देवेंद्र नैथानी ने बताया कि उनको वरिष्ठ चित्रकार स्व. बी.मोहन नेगी से महिलाओं के जीवन पर आधारित पोस्टरों को बनाने की प्रेरणा मिली। अब तक वे उत्तराखंड के सभी शहरों के अलावा अन्य राज्यों में 55 पोस्टर प्रदर्शनी लगा चुके हैं। उनके बनाये हुए कोलॉज महिला भ्रूण हत्या से लेकर वृद्धाओं के जीवन के हर पहलू को छूते हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं के जीवन को खुशहाल बनाना उनका उद्देश्य है, इसी उद्देश्य को लेकर वे 55 में से करीब 40 प्रदर्शनी निशुल्क लगा चुके हैं।

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