World Sparrow Day : स्पैरोमैन गोविन्द किरौला कर रहें हैं गौरैया का एक दशक से संरक्षण

लामाचौड़ निवासी गोविंद किरौला, जिन्हें लोग अब स्पैरोमैन नाम से जानने लगे हैं। गोविंद ने घर की दीवारों पर 100 से अधिक घोसले टांग रखे हैं।



आंगन में फुदकती, चहकती गौरैया हर घर की शान हुआ करती थी। सबसे पहले बच्चे का किसी चिडिय़ा से सामना होता था तो वह थी गौरैया। क्योंकि घरों में इनके लिए भी जगह थी। गांव छूटा, शहरीकरण बढ़ा तो घरों के नए डिजाइन में गौरैया का घर भी छूट गया। इनकी संख्या घटने लगी। इंसानी बसासतों के बीच रहने वाली इस नन्हीं चिडिय़ा को लोग भूलने लगे। जैसे-जैसे इस पक्षी को लेकर जागरूकता बढऩे लगी तो तमाम लोग संरक्षण को भी आगे आए। इन्हीं में से एक हैं लामाचौड़ निवासी गोविंद किरौला, जिन्हें लोग अब स्पैरोमैन नाम से जानने लगे हैं।

गोविंद बताते हैं, 10 साल पुरानी बात है। उन्होंने अपने आसपास कुछ गौरैया देखी। उन्होंने सोचा कि ये तो घरों में रहती हैं, लेकिन यहां कहीं भी उनके लिए घर नहीं है। तब वह बहुत दुखी हुए। उन्होंने तभी से ठान लिया कि गौरैया के लिए घर बनाने की शुरुआत अपने घर से करेंगे। संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान भी चलाएंगे। लामाचौड़ स्थित गोविंद ने घर की दीवारों पर 100 से अधिक घोसले टांग रखे हैं। हर घोसले में गौरैया का निवास है। यही कारण है कि उनका घर हर समय गौरैये की चहचहाट से गूंजता रहता है। उन्होंने इनके बैठने से लेकर भोजन तक की विशेष व्यवस्था की है।

अब तक बांट चुके हैं पांच हजार बर्ड हाउस

गोविंद गौरैया के संरक्षण के लिए जागरूक भी करते हैं। अब तक वह पांच हजार बर्ड हाउस बांट चुके हैं। बताते हैं, वह हर किसी को गौरैया के संरक्षण के लिए प्रेरित करते हैं। वह अपने प्रतिष्ठान रेस्टोरेंट में भी लोगों को जागरूक करते हैं। इसके लिए उन्होंने बर्ड हाउस भी लगाए हैं।

ऐसे करें संरक्षण

- घरों में गौरैया हाउस बनाएं

- आंगन में पेड़ पौधे लगाएं 

- भोजन व पानी भी नियमित रखें

- घोसले में ततैया को न बैठने दें

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