उत्तराखण्ड सरकार ने पूर्व अग्निवीरों को सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण देने का निर्णय लिया है। यह आरक्षण समूह ग की वर्दीधारी सेवाओं में मिलेगा जिसमें शारीरिक दक्षता परीक्षा में छूट और आयु सीमा में राहत भी शामिल है।
उत्तराखण्ड : प्रदेश में अब पूर्व अग्निवीरों को आयोग की परिधि के बाहर की सभी वर्दीधारी सेवाओं के समूह ग में 10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। उन्हें सीधी भर्ती की प्रक्रिया में शारीरिक दक्षता परीक्षा से छूट प्रदान की जायेगी। इसके साथ ही उन्हें भारतीय सेना में अग्निवीर के रूप में की गई कुल सेवा अवधि के बराबर अधिकतम आयु सीमा में छूट मिलेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व अग्निवीरों को सरकारी सेवाओं में आरक्षण देने की घोषणा की थी। इस घोषणा को धरालत पर उतारने के लिए सचिव सैनिक कल्याण दीपेंद्र चौधरी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। जिस पर सहमति मिलने के बाद सैनिक कल्याण विभाग ने पूर्व अग्निवीरों को प्रदेश की सभी वर्दीधारी सेवाओं में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का प्रस्ताव कैबिनेट के सम्मुख रखा।
प्रस्ताव में पूर्व अग्निवीरों को पुलिस विभाग में आरक्षी, उप निरीक्षक, प्लाटून कमांडर, अग्निशामक, अग्निशमन अधिकारी द्वितीय, कारागार विभाग में बंदी रक्षक, उप कारापाल, वन विभाग में वन आरक्षी, वन दरोगा, आबकारी विभाग में आबकारी सिपाही, परिवहन विभाग में प्रवर्तन सिपाही व सचिवालय सेवा में सचिवालय रक्षक के पद पर आरक्षण देना प्रस्तावित किया। जिस पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी है। यह स्पष्ट किया गया है कि अग्निपथ योजना के तहत चार वर्षों की सेवा पूरी करने वाले प्रमाण पत्र धारी अग्निवीरों को ही इसका लाभ मिलेगा।
सरकार के इस निर्णय से प्रदेश में वर्ष 2026 में अग्निपथ योजना के तहत भर्ती होने वाले तकरीबन 850 अग्निवीरों को इसका लाभ मिलेगा। प्रदेश में इस समय वर्दीधारी सेवाओं में 25 हजार से अधिक पद हैं। इसमें अधिसंख्य पद पुलिस में हैं।
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