गुरुग्राम का छात्र जतिन एक ऐसा मल्टीपर्पज ड्रोन तैयार कर रहा है जिसे हेल्थकेयर, डिजास्टर मैनेजमेंट और ट्रांसपोर्ट के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। ड्रोन 210 किलो तक वजन उठा सकता है, और 250 से 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से डेढ़ से दो घंटे तक लगातार उड़ सकता है।
अभी तक आपने ड्रोन का इस्तेमाल विवाह समारोह में वीडियोग्राफी करने या कहीं निगरानी के लिए होता देखा होगा। अब गुरुग्राम का छात्र जतिन एक ऐसा मल्टीपर्पज ड्रोन तैयार कर रहा है जिसे हेल्थकेयर, डिजास्टर मैनेजमेंट और ट्रांसपोर्ट के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। आईआईएम काशीपुर ने इसे अपने इनक्यूबेटेड स्टार्टअप में शामिल कर जतिन को दो माह का प्रशिक्षण भी दिया है। गुरुग्राम के गढ़ीहरसरो में रहने वाले जतिन शर्मा एचआर और एडमिनिस्ट्रेशन की शिक्षा ले रहे हैं। वह इग्नू में आईआईसी मेंबर भी हैं। जतिन के पिता जितेंद्र कुमार शर्मा एयरफोर्स में जूनियर वारंट ऑफिसर हैं। पिता के साथ रहने के कारण जतिन ने हेलीकॉप्टर और एयरक्राफ्ट को काफी नजदीक से देखा। ऐसे में जतिन को एक ऐसा ड्रोन बनाने का आइडिया आया जो मल्टीपर्पज हो।
कुछ समय पहले जतिन ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर मिया इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी रजिस्टर की और मिया नाम से ही एक स्टार्टअप शुरू किया। इसके बाद जतिन ने ड्रोन बनाना शुरू कर दिया। ड्रोन के लिए जतिन ने कुछ पार्ट्स चीन के ताईवान से भी मंगाए। जतिन ने बताया कि तैयार किया जा रहा ड्रोन 210 किलो तक वजन उठा सकता है, और 250 से 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से डेढ़ से दो घंटे तक लगातार उड़ सकता है। इसे उड़ाने के लिए किसी तरह के रनवे की आवश्यकता नहीं होती। इसमें लगा जीपीएस सिस्टम खराब होने पर भी यह वापस लौट सकता है।
तैयार किया जा रहा मल्टीपर्पज ड्रोन पहाड़ी क्षेत्रों के लिए बेहद कारगर हो सकता है। पहाड़ों में यह ड्रोन 32,800 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है और आधे घंटे के भीतर 50 से 70 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। इसके लिए जनित ने ड्रोन के इंजन में तकनीकी रूप से कई बदलाव किए हैं। ड्रोन तैयार करने में 25 से 30 लाख तक की लागत आ रही है। ड्रोन उड़ाने की कई प्रतियोगिताओं में भी यह छात्र प्रतिभाग कर चुका है। साइंस एंड टेक्नोलॉजी में रूचि होने के कारण जतिन ने इससे पहले भी कई ड्रोन तैयार किए हैं।
जतिन ने बताया कि पहाड़ी और आदिवासी क्षेत्रों में कई जगह अस्पताल की सुविधा नहीं है और लोगों को समय से डॉक्टर और दवा उपलब्ध नहीं हो पाती हैं। मरीजों के लिए इसे एंबुलेंस का विकल्प बनाया जा सकता है। यह एक पोर्टेबल हॉस्पिटल की तरह काम करेगा। इसकी मदद से मरीज तक दवा भी पहुंचाई जा सकती है। किसानों की फल, सब्जी का भी इससे ढुलान हो सकता है। किसी भी तरह की दैवीय आपदा के समय भी इस ड्रोन की मदद से लोगों को राहत सामग्री पहुंचाई जा सकती है। कुछ हेल्थकेयर कंपनियों और सरकारी सुरक्षा संस्थाओं से इस संबंध में जतिन की बात चल रही है।
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