देहरादून की कुछ मलिन बस्तियों में बिहार और अन्य राज्यों से छोटे बच्चों को लाकर नशे के दलदल में धकेला जा रहा है। तस्कर बच्चों से नशा सप्लाई करवाते हैं।
बच्ची से जब शहर कोतवाली में बच्चों के संरक्षण में काम करने वाली संस्थाओं ने बात की तो उसने बताया कि बिहार से दून लाकर उन्हें 15-20 दिन की ट्रेनिंग दी जाती है। पहले कम संख्या में उन्हें पुडिय़ा दी जाती है। धीरे-धीरे जब बच्चे काम में पूरी तरह से निपुण हो जाते हैं, तो पुडिय़ों की संख्या बढ़ा दी जाती है। पुड़ियों में इस हिसाब से गांजा रखा जाता है, जिससे कोई बच्चा पुड़यिा बेचता पकड़ा भी जाता है तो पुलिस मुकदमा दर्ज नहीं कर सकती और उन्हें छोड़ना पड़ता है। कुछ दिन पहले बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने भी कुछ बच्चों को नशा बेचते हुए पकड़ा था। इस दौरान आयोग की अध्यक्ष ने पुलिस को फटकार भी लगाई थी।
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