कुंभ के दौरान श्रद्धालुओं को हर दिन इस बात की जानकारी मिलेगी कि गंगा का जल नहाने और आचमन लायक है या नहीं। अभी तक जांच शेड्यूल के लिए केंद्र की गाइडलाइन का इंतजार किया जा रहा था।
उत्तराखंड : कुंभ के दौरान श्रद्धालुओं को हर दिन इस बात की जानकारी मिलेगी कि गंगा का जल नहाने और आचमन लायक है या नहीं। अभी तक जांच शेड्यूल के लिए केंद्र की गाइडलाइन का इंतजार किया जा रहा था। अब इसको लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से प्रदूषण बोर्ड मुख्यालय देहरादून को दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इसके तहत कुंभ में गंगा के जल की प्रतिदिन मॉनिटरिंग की जाएगी। साथ ही प्रत्येक दिन का डाटा केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
गंगा के उद्गम स्थल गोमुख से निकलने वाली गंगा सबसे पहले हरिद्वार ही पहुंचती है। ऐसे में गंगा का जल नहाने और आचमन के लिहाज से शुद्ध ही रहता है, लेकिन जब से गंगा में आश्रमों और होटलों का सीवर गिरने लगा तब से गंगा के जल में अशुद्धि का स्तर भी बढ़ने लगा है।
प्रयागराज और बनारस तक जाते-जाते जल में अशुद्धि की मात्रा और भी बढ़ जाती है। ऐसी में कुंभ के दौरान श्रद्धालुओं को नहाने और आचमन करने के लिए मानकों के अनुरूप जल मिल रहा है या नहीं, इसकी जानकारी देना जरूरी हो जाता है।
इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार प्रत्येक कुंभ पर जल की मॉनिटरिंग करने के लिए गाइडलाइन जारी करती है। हरिद्वार में मकर संक्रांति से प्रारंभ हो रहे कुंभ के लिए भी गाइडलाइन का इंतजार किया जा रहा था। अब जो गाइडलाइन आई है उसके अनुसार 14 जनवरी से प्रत्येक दिन गंगा के जल की गुणवत्ता की जांच की जाएगी।
रुड़की स्थित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी राजेंद्र कुमार ने बताया कि हरिद्वार में गंगा में फैक्ट्रियों का प्रदूषित पानी उतना नहीं मिलता है जितना अन्य कुंभ क्षेत्र में मिलता है। साथ ही हरिद्वार जिले में रेड श्रेणी की फैक्ट्रीयां भी न के बराबर है।
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