भाइयों और बहनों कोरोना गीतमाला में आपका स्वागत है। 15 गीतों की इस गीत माला में आइए सुनते हैं कौन सा गीत है इस सप्ताह अंतिम यानी की 10वीं पायदान पर - " मेरे सामने वाली खिड़की में एक कोरोना पेशेंट रहता है।
विनय मोघे
भाइयों और बहनों कोरोना गीतमाला में आपका स्वागत है। 15 गीतों की इस गीत माला में आइए सुनते हैं कौन सा गीत है इस सप्ताह अंतिम यानी की 10वीं पायदान पर - " मेरे सामने वाली खिड़की में एक कोरोना पेशेंट रहता है। अफसोस यह है कि वह हमसे कुछ चिपका-चिपका रहता है।" प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हैं और सुनते हैं, वह गीत जो इस हफ्ते नौवें पायदान पर है - " दुनिया में हम आए हैं तो जीना ही पड़ेगा, मास्क है अगर जरूरी, तो पहना ही पड़ेगा।" कान खुले रखकर सुनिए आठवें पायदान का गीत - " सुहाना सफर और यह मौसम हसीन, हमें डर है हम पॉजिटिव हो ना जाए कहीं।" और यह रहा सातवें नंबर का गीत - " तुमने पुकारा और हम चले आए, मास्क हथेली पर ले आए रे।" बी पॉजिटिव कहना अच्छा है पर कोई सुनना नहीं चाहता है। हमारी छठे पायदान का गीत भी यही कह रहा है - " पल भर के लिए कोई हमें नेगेटिव कह दे, झूठा ही सही। कोरोना खाना है या नीला हमें नहीं पता पर पांचवी पायदान का गीत तो इसे काला ही कह रहा है - " घर से निकले कोरोना काटे। काले कोरोना से डरियो।"
कोरोना काल में जिंदगी ऐसी हो गई है पल में पॉजिटिव पल में नेगेटिव। एक सेंटर में पॉजिटिव दूसरे में नेगेटिव। सुनिए चौथे पायदान पर कौन सा गीत है आपके लिए - " जिंदगी कैसी है पहेली हाय कभी यह डराए, कभी यह हंसाए। कोरोना के जितने विषाणु नहीं होंगे उससे अधिक तो बातें हैं। और अब भाइयों और बहनों हम आ पहुंचे हैं तीसरे पायदान पर - अजीब दास्तां है ये कहां शुरू कहां खत्म.....। और दूसरे पायदान पर है - " एहसान तेरा होगा मुझ पर दिल चाहता है वह करने दो, मुझे मास्क से चिढ़ हो गई है, मुझे मास्क उतारकर फेखने दो।"...... और अंतिम पायदान पर है वह गीत जो कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरी दुनिया गा रही है, उस वैक्सीन के लिए जो अभी सिर्फ सपने में ही है - " मेरी सपनों की रानी कब आएगी तू, बीती जाए जिंदगानी कब आएगी तू....चली आ तू चली आ।"
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