उत्तराखंड : मुख्यमंत्री के तौर पर CM त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल को हमेशा याद किया जायेगा, कई फैसले लेकर दिखाया दम

मुख्यमंत्री के तौर पर त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसले सालोंसाल याद किए जाते रहेंगे। एक ओर जहां उन्होंने कई चौंकाने वाले फैसले लिए तो दूसरी ओर वर्षों से लटकी कई परियोजनाओं को पंख लगे।



उत्तराखंड की राजनीती में पिछले दिनों से चले आ रहे सियासी घमासान अब थम गया है। नए मुख्यमंत्री के रूप में तीरथ सिंह रावत को चुना गया  है। लेकिन वहीँ मुख्यमंत्री के तौर पर त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसले सालोंसाल याद किए जाते रहेंगे। एक ओर जहां उन्होंने कई चौंकाने वाले फैसले लिए तो दूसरी ओर वर्षों से लटकी कई परियोजनाओं को पंख लगे। उनके कार्यकाल को ऐतिहासिक तौर पर हमेशा याद किया जाएगा।

दो आईएएस पर मुकदमा

जीरो टॉलरेंस नीति का दावा करने वाली मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार इस पर काफी हद तक अमल करती भी नजर आई। एनएच-74 घोटाले की जांच कराई। खास बात यह है कि प्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ, जब आईएएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। उनके इस फैसले पर उन्हें काफी वाहवाही भी मिली।

ग्रीष्मकालीन राजधानी बनी गैरसैंण

गैरसैंण को राजधानी बनाने को लेकर यूं तो लंबे समय से चर्चाएं रहीं। हरीश रावत हों या इससे पहले के मुख्यमंत्री, प्रदेश में यह मुद्दा बड़ा रहा। त्रिवेंद्र ने कुर्सी संभालने के बाद जो कहा, वह कर दिखाया। वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का फैसला लेकर सबको चौंका दिया। इसके बाद भी वह यहीं नहीं थमे। इस साल उन्होंने गैरसैंण को मंडल बनाने का दूसरा चौंकाने वाला फैसला लिया।

हरिद्वार में महाकुंभ के प्रचार- प्रसार पर करोड़ों रुपये का बजट खर्च किया गया था। पूरा मेला क्षेत्र निवर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के फोटो वाले होर्डिंग, बैनर और पोस्टर से अटा पड़ा है। अब नए मुख्यमंत्री की ताजपोशी के साथ इन कुंभ संदेशों को भी बदलना का होगा। इन संदेशों को बदलने में एक बार फिर बजट खर्च किया जाएगा। एक अप्रैल से महाकुंभ की अधिसूचना जारी हो जाएगी। ऐसे में कुंभ के आयोजन को अब बस 21 दिन शेष बने हैं। सरकार ने कुंभ के प्रचार-प्रसार और कोविड नियमों के लिए श्रद्धालुओं को जागरूक के लिए करोड़ों रुपये का बजट खर्च किया था।

यह ड्रीम प्रोजेक्ट हुए सफल

- त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार में सहारनपुर रोड पर डाटकाली सुरंग का निर्माण पूरा हुआ। यहां लोगों को जाम से राहत मिली।

- जनवरी 2006 से भागीरथी नदी पर जिस डोबरा चांठी पुल के बनने का इंतजार किया जा रहा था, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के कार्यकाल में वह सपना पूरा हो गया।

- मुनि की रेती और स्वर्गाश्रम को जोड़ने वाले जानकी सेतु का निर्माण वर्ष 2006 से पूरा नहीं हो पाया था। त्रिवेंद्र सरकार में यह निर्माण पूरा हो गया।

- देहरादून से हरिद्वार के बीच के जो फ्लाईओवर ‘सफेद हाथी’ बनकर रह गए थे, उनमें त्रिवेंद्र कार्यकाल में नई जान आ गई। देखते ही देखते फ्लाईओवर निर्माण ने रफ्तार पकड़ी और कार्य पूरे होकर कई फ्लाईओवर संचालित भी हो गए।


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