6000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बेहद खतरनाक, साहसिक और रोमांच से भरी गरुड़ चोटी को बीएसएफ के जवानों ने दो बार फतह कर तिरंगा और बीएसएफ का झंडा फहराया।
उत्तराखंड : 6000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बेहद खतरनाक, साहसिक और रोमांच से भरी गरुड़ चोटी को बीएसएफ के जवानों ने दो बार फतह कर तिरंगा और बीएसएफ का झंडा फहराया। ग्लेशियर और तूफान से निपटने के लिए टीम ने रात को ठीक 12 बजे से अभियान को शुरू किया और पांच दिन में इस चोटी को फतह कर दिया। जबकि इस चोटी को फतह करने में 10 से 15 दिन का समय लगता है। बीएसएफ के 20 पर्वतारोहियों का दल दो टुकड़ियों में चोटी पर पहुंचा।
बीएसएफ का 20 सदस्यीय दल 24 जून को जोशीमठ के आईटीबीपी सुनील कैंप में पहुंचा। 25 को दल नीती घाटी के जुम्मा गांव पहुंचा। यहां से दल द्रोणागिरी, बागनी ग्लेशियर होते हुए 29 जून को 4350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बेस कैंप पहुंचा। एक जुलाई को दल 5000 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचा और यहां रात्रि विश्राम के लिए रुका। बेहद खतरनाक चढ़ाई होने के कारण यहां से तीन जुलाई को दल दो टुकड़ों में बंट गया।
10 सदस्यीय दल ने ग्रांड एडवेंचर के राजेंद्र मर्तोलिया के नेतृत्व में रात को 12 बजे गरुड़ चोटी फतह अभियान शुरू किया और सुबह 4:30 बजे दल ने चोटी पर पहुंचने में कामयाबी हासिल की। इसी दिन दल शाम को सात बजे बेस कैंप पहुंच गया। इसके बाद चार जुलाई को दिनेश कुमार के नेतृत्व में रात 12:09 बजे दूसरे 10 सदस्यीय दल ने अपना पर्वतारोहण अभियान शुरू किया और पांच को सुबह 3:43 बजे दल ने चोटी को फतह कर लिया। दल के सदस्यों ने यहां तिरंगा व बीएसएफ का झंडा फहराया।
बीएसएफ के कमांडेंट महेश कुमार नेगी ने बताया कि बीएसएफ के जांबाज पर्वतारोहण अभियान दल ने सफलता पूर्वक गरुड़ चोटी को बेस कैंप से मात्र पांच दिनों में ही फतह कर दिया। यह पहली बार है, जब किसी दल ने इतने कम समय में यह चोटी फतह की है। वर्ष 2019 के बाद यह पर्वतारोहियों का इस चोटी को फतह करने वाला पहला दल है। पर्वतारोहियों के पहले दल का नेतृत्व करने वाले राजेंद्र मर्तोलिया का कहना है कि दल के सदस्यों ने अदम्य साहस का परिचय दिया और बेहद कम समय में चोटी को फतह कर दिखाया।
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