उत्तराखंड : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रदेशवासियों को दी राज्य स्थापना दिवस की बधाई

उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस पर राजधानी के पुलिस लाइन में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शिरकत की।


उत्तराखंड आज अपनी स्थापना के 23 वर्ष पूरे कर रहा है। उत्तराखंड के 24वें वर्ष में प्रवेश के इस खास मौके पर राज्य में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। राज्य स्थापना दिवस पर पुलिस लाइन में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने परेड की सलामी ली। अपने संबोधन में उन्होंने राज्य आंदोलन में बलिदान देने वाले आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

गुरुवार को राज्य स्थापना दिवस पर बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में शामिल हुईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि अपनी अलग पहचान स्थापित करने और अपने विकास का रास्ता तय करने का उत्तराखंड के निवासियों का सपना आज ही के दिन पूरा हुआ था। कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि नई पहचान के साथ उत्तराखंड के परिश्रमी लोगों ने राज्य के लिए विकास और प्रगति के नित-नूतन शिखरों पर अपने कदम जमाए हैं। 

उत्तराखंड आना तीर्थ-यात्रा का पुण्य प्राप्त करने की तरह

राष्ट्रपति ने कहा कि भगवान शिव और भगवान विष्णु के आशीर्वाद-स्वरूप देवालयों से पवित्र उत्तराखंड को ‘देव-भूमि’ कहने की परंपरा वंदनीय है। साथ ही, पर्वतराज हिमालय की पुत्री देवी पार्वती एवं शक्ति के अन्य पूजनीय स्वरूपों से ऊर्जा प्राप्त करने वाली व गंगा-यमुना जैसी नदी-माताओं के स्नेह से सिंचित यह पावन धरती ‘देवी-भूमि’ भी है। यह क्षेत्र ‘जय महा-काली’ और ‘जय बदरी-विशाल’ के पवित्र उद्घोष से गुंजायमान रहता है। हेमकुंड साहिब और नानक-मत्ता से निकले गुरबानी के स्वर यहां के वातावरण को पावन बनाते हैं।  

बताया कि पिछले वर्ष दिसंबर के महीने में मुझे उत्तराखंड की यात्रा करने का सुअवसर मिला था। उत्तराखंड में आने का प्रत्येक अवसर तीर्थ-यात्रा का पुण्य प्राप्त करने की तरह होता है। उत्तराखंड की इस देव-भूमि से मैं सभी देशवासियों के लिए दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं व्यक्त करती हूं ।

महामहिम ने वरिष्ठ आंदोलनकारी रहीं सुशीला बलूनी को किया याद

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तराखंड की अलग पहचान और स्थापना के लिए संघर्ष करने वाली स्वर्गीय सुशीला बलूनी को याद किया। कहा कि इस राज्य के सभी निवासी तो उन्हें याद रखेंगे ही, नारी में संघर्ष की शक्ति के उदाहरण के रूप में उन्हें सभी देशवासी सदैव स्मरण करेंगे। कहा कि सुशीला बलूनी का अदम्य साहस यहां की महिलाओं की गौरवशाली परंपरा के अनुरूप था। बिशनी देवी शाह ने स्वाधीनता संग्राम के दौरान अपने असाधारण साहस का परिचय दिया था।

Post a Comment

0 Comments